Coldrif Cough Syrup Case: जब दवा बनी मौत — छिंदवाड़ा से राजस्थान तक फैला ज़हर
भारत में एक बार फिर दवा सुरक्षा (Drug Safety) पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान के कई जिलों में बच्चों की मौत के बाद
Coldrif Cough Syrup चर्चा के केंद्र में है।
वो सिरप जो बच्चों की खांसी ठीक करने के लिए दिया गया,
वही उनकी किडनी फेल्योर और मौत की वजह बन गया।
📍 कहां और कैसे शुरू हुआ मामला
मामला सबसे पहले मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में सामने आया।
यहां अगस्त के आख़िरी हफ्ते में कई बच्चों को सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत हुई।
इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें Coldrif और Nextross DS सिरप दिया।
लेकिन कुछ ही दिनों में बच्चों की तबियत और बिगड़ गई।
उल्टी, पेशाब रुक जाना, और किडनी फेल होने जैसे लक्षण सामने आने लगे।
7 सितंबर को पहली मौत दर्ज हुई, और उसके बाद यह सिलसिला थम नहीं सका।
अब तक छिंदवाड़ा में 10 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है,
जबकि राजस्थान के सीकर और भरतपुर में भी दो मासूमों ने दम तोड़ा है।
⚠️ सिरप में क्या मिला — Diethylene Glycol (DEG) का ज़हर
प्रशासन ने जब सैंपल जांच के लिए भेजे,
तो चेन्नई स्थित Drug Testing Laboratory की रिपोर्ट ने सबको झकझोर दिया।
सैंपल में पाया गया Diethylene Glycol (DEG) —
एक industrial chemical जो पेंट, ब्रेक ऑयल और सॉल्वेंट्स में इस्तेमाल होता है।
रिपोर्ट के अनुसार, सिरप में DEG की मात्रा 48.6% तक पाई गई,
जो सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है।
यही केमिकल बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचाने और
उनकी मौत की वजह बना।
🧪 DEG आखिर सिरप में क्यों मिलाया गया?
दवा उद्योग में DEG का इस्तेमाल सिरप को मीठा और पतला बनाने के लिए किया जाता है।
लेकिन जब कंपनियां इसे कम लागत में ज़्यादा प्रोडक्शन के लिए तय मात्रा से ज़्यादा मिला देती हैं,
तो यही पदार्थ ज़हर बन जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, DEG की अधिक मात्रा से
मरीज को उल्टी, दस्त, पेशाब रुकना, सिरदर्द और किडनी फेल्योर तक की स्थिति हो सकती है।
🏭 कंपनी और निर्माण स्थल की जांच
जांच में सामने आया कि यह सिरप
Srisun Pharmaceuticals Pvt. Ltd., कांचीपुरम (तमिलनाडु) द्वारा बनाया गया था।
मध्य प्रदेश सरकार ने तुरंत इस सिरप के पूरे बैच की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने
छह राज्यों — हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र —
में risk-based inspection शुरू कर दिया है।
🧾 अब तक की कार्रवाई – राज्यों की स्थिति
🔹 तमिलनाडु:
राज्य सरकार ने Coldrif Syrup की बिक्री पर तुरंत रोक लगाई।
कांचीपुरम स्थित कंपनी की यूनिट का निरीक्षण किया गया और उत्पादन पर रोक लगा दी गई।
🔹 राजस्थान:
यहां दो बच्चों की मौत के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं।
राज्य औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा को निलंबित किया गया है,
जबकि Kaysons Pharma की सभी दवाओं का वितरण रोका गया है।
🔹 केरल:
सावधानी के तौर पर Coldrif के नमूने एकत्र किए गए और बिक्री रोक दी गई।
🔹 उत्तराखंड:
Drug Inspectors ने मेडिकल स्टोर्स और हॉस्पिटल फ़ार्मेसी में छापेमारी की।
सरकार ने निर्णय लिया है कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए
संभावित हानिकारक दवाओं पर स्पष्ट चेतावनी लेबल लगाया जाएगा।
🔹 केंद्र सरकार:
DGHS (Directorate General of Health Services) ने advisory जारी की है —
“दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा न दी जाए,
और पांच साल तक के बच्चों को केवल डॉक्टर की देखरेख में ही दवा दी जाए।”
🧍♂️ जिम्मेदारी किसकी है?
सबसे बड़ा सवाल अब यही है —
जब फार्मेसी एक्ट 1948 साफ कहता है कि
दवा वितरण का कार्य केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही कर सकता है,
तो ये जहरीला सिरप मार्केट में कैसे पहुंच गया?
क्या कंपनी ने सुरक्षा मानक तोड़े?
क्या सिस्टम ने जांच में लापरवाही की?
या फिर सरकारी निगरानी एजेंसियों ने समय पर कदम नहीं उठाया?
फिलहाल, जांच चल रही है,
लेकिन मासूमों की मौत ने भारत की दवा प्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
🩺 निष्कर्ष – सिस्टम की सच्चाई और सबक
Coldrif Cough Syrup Tragedy सिर्फ एक घटना नहीं,
बल्कि दवा सुरक्षा प्रणाली की गहरी खामियों का आईना है।
सरकार को चाहिए कि –
✅ हर जिले में Drug Testing Labs को मजबूत किया जाए,
✅ सभी फ़ार्मेसी पर पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य हो,
✅ और DEG जैसे toxic chemical पर सख्त नियंत्रण लागू किया जाए।
क्योंकि अंत में —
“एक गलती, एक लापरवाही, और एक सिरप — किसी की पूरी ज़िंदगी छीन सकता है।”
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